
उत्तराखंड: सूचना आयोग और खास तौर पर राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट की सख्ती के चलते राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार की परतें उघड़ने लगी हैं। ऐसा ही एक खुलासा आज फिर हुआ है। एक मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट के सामने हरिद्वार नगर निगम में करोड़ों की हेराफेरी सामने आई है। अब इस मामले में बड़े घोटाले की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है
दरअसल ये पूरा मामला हरिद्वार नगर निगम और उषा ब्रेको कंपनी से जुड़ा हुआ है। एक मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट की जानकारी में आया कि नगर निगम द्वारा ऊषा ब्रेको कंपनी से भूमि किराए के रूप में ली जाने वाली निर्धारत राशि वर्षवार नहीं वसूली गई है। यही नहीं कंपनी पर हरिद्वार नगर निगम के अधिकारी इतने मेहरबान रहे कि भुगतान भी मनमाने तरीके से लिया गया।
सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने इसे गंभीर वित्तीय अनियमितता माना और बड़े घपले की आशंका जताई है। उन्होंने लोक सूचना अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी करने के साथ ही नगर निगम हरिद्वार के वरिष्ठ वित्त अधिकारी, लेखाधिकारी तथा कर अधीक्षक को पक्षकार बनाते हुए एक सप्ताह के भीतर ऊषा ब्रेको कंपनी पर निर्धारित देनदारी और वसूली का समस्त ब्यौरा तलब कर लिया है। इसके साथ ही लोक सूचना अधकारी को अगली सुनवाई पर वर्ष 2004-05 से वर्तमान तिथि तक नगर निगम हरिद्वार की मांग व वसूली की ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है।
दऱअसल हरिद्वार के कनखल के रहने वाले दीपक ठाकुर ने सूचना के अधिकार के तहत हरिद्वार नगर निगम से ऊषा ब्रेको कंपनी पर वर्ष 2006-07 से नगर पालिका हरिद्वार और नगर निगम हरिद्वार की देनदारी और उसके सापेक्ष किए गए भुगतान की वर्षवार सूचना मांगी। इस सूचना पर हरिद्वार नगर निगम के अधिकारी टालमटोल करते रहे। यहां तक निर्धारत समयावधि पूरी होने के बाद भी नगर निगम ने ये सूचना उपलब्ध नहीं कराई गई। इसके बाद दीपक ठाकुर ने राज्य सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया।