उत्तराखंड से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आया है। ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में 20 अगस्त को विधानसभा सत्र के दौरान पारित समान नागरिक संहिता संशोधन विधेयक को लोक भवन (राज्यपाल सचिवालय) ने आपत्तियों के साथ सरकार को वापस लौटा दिया है। विधेयक में कुछ धाराओं को लेकर संशोधन की आवश्यकता बताई गई है, जिससे यूसीसी के कार्यान्वयन में यह एक अहम मोड़ माना जा रहा है।
धारा-चार में सजा का दोहरा उल्लेख
लोक भवन ने विधेयक की धारा-चार में निर्धारित आयु से कम में विवाह करने पर सजा के प्रावधान का दो बार उल्लेख किए जाने पर आपत्ति जताई है। खासतौर पर धारा-चार के खंड तीन में पुरानी सजा के प्रावधान के रहते हुए नई सजा का भी उल्लेख किया गया है, जिससे भ्रम की स्थिति बन रही है। सूत्रों के अनुसार यह प्रावधान बाल विवाह निषेध अधिनियम से भी टकरा रहा था।
बताया जा रहा है कि विधेयक में बाल विवाह अधिनियम का उल्लेख तो हटा दिया गया, लेकिन उससे जुड़ी सजा का प्रावधान गलती से विधेयक में बना रह गया। इसी तकनीकी त्रुटि के चलते लोक भवन ने विधेयक को लौटाया है। यह विधेयक अब गृह विभाग को भी भेजा गया है।
अध्यादेश लाने की तैयारी
इससे पहले उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता एवं विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक को भी लोक भवन ने लिपिकीय त्रुटियों के कारण वापस लौटाया था। सूत्रों के मुताबिक, अधिनियम में किए गए सख्त प्रावधानों को लागू करने में देरी न हो, इसे देखते हुए राज्य सरकार अध्यादेश लाने की तैयारी कर रही है। इस दिशा में धर्मस्व विभाग सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है।
धर्म परिवर्तन विधेयक भी लौटा
बहुचर्चित छांगुर प्रकरण के बाद धामी सरकार ने धर्म परिवर्तन कानून को और सख्त बनाते हुए उसमें 10 लाख रुपये तक के जुर्माने और आजीवन कारावास तक का प्रावधान किया था। यह संशोधन विधेयक भी 20 अगस्त को गैरसैंण विधानसभा सत्र में पारित हुआ था, लेकिन राज्यपाल ने इसे भी अपने संदेश के साथ सरकार को लौटा दिया है।
सूत्रों के अनुसार, इस विधेयक की विभिन्न धाराओं में सजा के प्रावधानों में लिपिकीय और तकनीकी त्रुटियां हैं, जिससे कानून की व्याख्या स्पष्ट नहीं हो पा रही है। लोक भवन द्वारा भेजे गए संदेश पर विधायी एवं धर्मस्व विभाग की उच्च स्तरीय बैठक में चर्चा की गई, जिसमें विधेयक को बोधगम्य, सुस्पष्ट और तकनीकी रूप से त्रुटिरहित बनाकर दोबारा प्रस्तुत करने पर सहमति बनी है।
महत्वपूर्ण मोड़
लोक भवन द्वारा दोनों विधेयकों को लौटाया जाना उत्तराखंड में यूसीसी और धर्म परिवर्तन कानून के क्रियान्वयन की प्रक्रिया में एक अहम प्रशासनिक चरण माना जा रहा है। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि सरकार संशोधन और अध्यादेश के माध्यम से इन कानूनों को किस रूप में आगे बढ़ाती है।